दिल की बात लबों तक लाकर,अब तक हम दुख सहते हैं
हमनें सुना था इस बस्ती में, दिलवाले भी रहते हैं
एक हमें आवारा कहना,कोई बड़ा इल्जाम नहीं
दुनिया वाले दिल वालों को, और बहुत कुछ कहते हैं..।।
अपनी धुन में रहता हूँ,अपनी धुन में रहता हूँ
मैं भी तेरे जैसा हूँ, अपनी धुन में रहता हूँ ..।।
ओ पिछली रूत के साथी.....2
अबके बरस मैं तन्हा हूँ
अपनी धुन में रहता हूँ , मैं भी तेरे जैसा हूँ
अपनी धुन में रहता हूँ .....।।
तेरी गली में सारा दिन....2
दुख के कंकड़ चुनता हूँ
अपनी धुन में रहता हूँ, मैं भी तेरे जैसा हूँ
अपनी धुन में रहता हूँ ....।।
मेरा दिया जलाए कौन .....2
मैं तो खाली कमरा हूँ
अपनी धुन में रहता हूँ,मैं तो तेरे जैसा हूँ
अपनी धुन में रहता हूँ ....।।
अपनी लहर है अपना रोग....2
दरिया हूँ और प्यासा हूँ
अपनी धुन में रहता हूँ,मैं तो तेरे जैसा हूँ
अपनी धुन में रहता हूँ ....।।
आती रूत मुझें रोएगी ....2
जाती रूत का झोंका हूँ
अपनी धुन में रहता हूँ,मैं तो तेरे जैसा हूँ
अपनी धुन में रहता हूँ ....।।
-LbMusicEntertainment-
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