रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए !!
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ
आ फिर से मुझे छोड़कर जाने के लिए आ..।।
किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम
तू मुझसे खफ़ा है तो जमाने के लिए आ..।।
अब तक दिले-ए-खुशफहम को हैं तुझसे उम्मीदें
ये आखरी शम्मे भी बुझाने के लिए आ..।।
एक उम्र से हूँ लज्जत-ए-गिर्या से महरूम
ऐ राहत-ए-जा मुझको रुलाने के लिए आ..।।
कुछ तो मेरे पिन्दार-ए-मोहब्बत का भरम रख
तू भी तो कभी मुझको मानने के लिए आ..।।
माना की मोहब्बत को छुपाना है मोहब्बत
चुपके से किसी रोज जताने के लिए आ..।।
जैसे तुम्हें आते है न आने के बहाने
ऐसे ही किसी रोज न जानें के लिए आ..।।
पहलें से मरासीम ना सही फ़िर भी कभी तो
रस्म-ओ-रहे दुनिया ही निभाने के लिए..।।
-LbMusicEntertainment-
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