चराग़-ए-तूर जलाओ बड़ा अँन्धेरा हैं - गज़ल लिरिक्स // शाम होते ही चरागों को बुझा देता हूँ लिरिक्स

 शाम होते ही चरागों को बुझा देता हूँ 

दिल ही काफी है तेरी याद में जल जाने के लिए ।।


चराग़-ए-तूर जलाओ बड़ा अँन्धेरा हैं 

ज़रा नकाब उठाओ बड़ा अँन्धेरा हैं 


ऐ गम की रात तो कटती नज़र नहीँ आती 

एक और रात , एक और रात 

एक और रात बनाओ बड़ा अँन्धेरा हैं 

चराग़-ए-तूर जलाओ बड़ा अँन्धेरा हैं 

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मुझें खुद अपनी निगाहों पे ए-ह-तमाद नहीँ ( ए-ह-तमाद ~ भरोसा)

मेरे करीब  मेरे करीब 

मेरे करीब ना आओ बड़ा अँन्धेरा हैं 

चराग़-ए-तूर जलओ बड़ा अँन्धेरा हैं 


अभी तो सुबह के माथे का रंग काला हैं 

अभी फ़रेब ना खाओ बड़ा अँन्धेरा हैं 

चराग़-ए-तूर जलओ बड़ा अँन्धेरा हैं 


बसीरतो पे उजालो का खौफ़ तारी हैं  (बसीरतो ~ बुद्धिमता)

मुझें यकींन दिलाओ बड़ा अँन्धेरा हैं 

चराग़-ए-तूर जलओ बड़ा अँन्धेरा हैं 

ज़रा नकाब उठाओ बड़ा अँन्धेरा हैं 

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