शाम होते ही चरागों को बुझा देता हूँ
दिल ही काफी है तेरी याद में जल जाने के लिए ।।
चराग़-ए-तूर जलाओ बड़ा अँन्धेरा हैं
ज़रा नकाब उठाओ बड़ा अँन्धेरा हैं
ऐ गम की रात तो कटती नज़र नहीँ आती
एक और रात , एक और रात
एक और रात बनाओ बड़ा अँन्धेरा हैं
चराग़-ए-तूर जलाओ बड़ा अँन्धेरा हैं
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मुझें खुद अपनी निगाहों पे ए-ह-तमाद नहीँ ( ए-ह-तमाद ~ भरोसा)
मेरे करीब मेरे करीब
मेरे करीब ना आओ बड़ा अँन्धेरा हैं
चराग़-ए-तूर जलओ बड़ा अँन्धेरा हैं
अभी तो सुबह के माथे का रंग काला हैं
अभी फ़रेब ना खाओ बड़ा अँन्धेरा हैं
चराग़-ए-तूर जलओ बड़ा अँन्धेरा हैं
बसीरतो पे उजालो का खौफ़ तारी हैं (बसीरतो ~ बुद्धिमता)
मुझें यकींन दिलाओ बड़ा अँन्धेरा हैं
चराग़-ए-तूर जलओ बड़ा अँन्धेरा हैं
ज़रा नकाब उठाओ बड़ा अँन्धेरा हैं
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