छोड़ बैठा है सारा ज़माना मुझे
नाथ अब आप ही दो सहारा मुझे ..
पातको की घटा घोर घमासान हैं
और जग सिंधु का बेग बलवान हैं
काम क्रोध मद माया का तूफान हैं
देह जल यान का जीर्ण सामान है
देह जल यान का जीर्ण सामान है
चाहते हैं ये मिलकर डुबोना मुझे
नाथ अब आप ही दो सहारा मुझे .....
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क्या तुम्हें दिन गज ने पुकारा नहीं
क्या दुःखी गिद्ध तुमको था प्यारा नही
क्या यमन पींगला को उबारा नहीं
क्या अजामिल अधम तुमने तारा नहीं
अब सुनाते तो हो तुम क्यू बहाना मुझे
नाथ अब आपही दो सहारा मुझे .....
किसके कदमों पे नीचा ये सर मैं करू
आह का किसके दिल पर असर मै करू
किसका घर हैं की जिस घर में मै घर करू
अश्रु के बिंदु किसकी नजर मैं करू
आखरी हैं ये बिनती सुनाना मुझे
नाथ अब आप ही दो सहारा मुझे
छोड़ बैठा है सारा ज़माना मुझे
नाथ अब आप ही दो सहारा मुझे ..
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