हिंदुस्तानी शेरनी बाईसा किरण देवी Hindustani lioness Baisa Kiran Devi - LBMUSICENTERTAINMENT.COM

 

Photo/image - बाईसा किरण देवी 

‘हिंदुस्तानी शेरनी बाईसा किरण देवी’


वो वीरांगना जिसने मुग़ल सम्राट अकबर की छाती पर पैर धर उसे सबक सिखलाया। 


‘अकबर’ को लगभग सभी इतिहासकारो ने एक महान शाशक बताने की कोशिश की, और हमें इन वीरांगना और वीरों की कहानी न बताकर ये बतया गया है कि अकबर कितना महान था, ये पढ़ कर स्वयं निर्धारित कीजिये कि वो कितना महान था!


भारत में असँख्य वीरांगनाये पैदा हुई, बाईसा किरण देवी भी भारत की उन्ही वीरांगनाओ में से एक है


अकबर दिल्ली में प्रतिवर्ष अपने गलत इरादों के साथ नौरोज का मेला आयोजित करवाता था जिसमें पुरुषों का प्रवेशनिषेध था पर अकबर खुद इस मेले में महिला की वेष-भूषा में जाता था और जो महिला देखकर उसे सुंदरता में मंत्र मुग्ध कर देती थी उसे दासियाँ छल कपटवश अकबर के सम्मुख ले जाती थी 


एक दिन नौरोज के मेले में महाराणा प्रताप की भतीजी छोटे भाई महाराज शक्तिसिंह की पुत्री मेले की सजावट देखने के लिएआईं, जिनका नाम “बाईसा किरणदेवी” था जिनका विवाह बीकानेर के राजा पृथ्वीराज राठौड़ से हुआ था 


बाईसा किरणदेवी की सुंदरता को देखकर अकबर अपने आप पर काबू नही रख पाया और उसने बिना सोचे समझे दासियों के माध्यम से धोखे से बाइसा को जनाना महल में बुला लिया जैसे ही अकबर ने बाईसा किरणदेवी कोस्पर्श करने मात्र की कोशिश की, किरण देवी ने कमर से कटार खींच अकबर को नीचे गिरा उसकी छाती पर पैर धर, कटार गर्दन पर लगा दी 


ये सब इतना तेजी से हुआ जिसकी कल्पना भी कभी अकबर ने नहीं की थी, किसी ने आज तक उसके साथ ऐसा करने की हिम्मत नहीं करी थी, वह हक्का बक्का रह गया,दूसरी ओर शेरनी बाईसा किरण देवी ने अकबर पे दहाड़ते हुए कहा “नींच तुझे पता नहीं मैं उन महाराणा प्रताप की भतीजी हूँ जिनके नाम से तुझे नींद नहीं आती है बता तेरी आखिरी इच्छा क्या है” 


महाराणा प्रताप का नाम सुनते ही अकबर सुन्न हो गया, इसका परिणाम क्या हो सकता उसने कभी सोचा नहीं था

सम्राट अकबर कभी यूँ अपने जीवन की भीख लिए एक राजपूत बाईसा के चरणों में होगा 


अकबर बोला “मुझे पहचानने में भूल हो गई मुझे माफ कर दो” किरण देवी ने कहा कि “आज के बाद दिल्ली में ये नौरोज का मेला कभी नहीं लगेगा, न तेरे ये गलत इरादे अब कामयाब होंगे”कहते हैं तब से दिल्ली में वो नौरोज़ का मेला कभी नहीं लगा।


इस घटना का वर्णन “गिरधर आसिया” द्वारा रचित “सगत रासो” मे 632 पृष्ठ संख्या पर दिया गया है 


बीकानेर संग्रहालय में लगी पेंटिग ( थ्रेड के प्रथम भाग में दिखाई गई ) और उस पे लिखे दोहे के माध्यम से इस घटना को बताया गया हैदोहा- “किरण सिंहणी सी चढ़ी, उर पर खींच कटार । भीख मांगता प्राण की, अकबर हाथ पसार ॥”


अपने महान धर्म की ऐसी गौरवशाल गाथायें हर बच्चे को जरूर सुनायें जिससे वो हमारे भारत के महान सपूत और वीरांगना को जान सकें, और उन पर अभिमान कर उनसे प्रेरणा ले सकें

चंद्रिका नायक ....🖋️©️

आपने हमे बहुत अच्छी जानकारी दी हैं, मैं अपने आईडी में सांझा कर रहा हूं।

मुझे उम्मीद है आगे चल कर हमारे इतिहास में इसे पढ़ाया जाए।।

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