मैं तो हवा हूं किस तरह पहरे लगाओगे
महसूस ही करोगे मगर छू ना पाओगे
मैं तो हवा हूं किस तरह पहरे लगाओगे ....
ये दोस्त मेरी याद तुझे आएगी ज़रूर
मेरी गज़ल को जब कभी..... 2
मेरी गज़ल को जब कभी गुनगुनाओगे
मैं तो हवा हूं किस तरह पहरे लगाओगे ....
कागज़ के लिवाज़ अपने बदन से उतार दो
पानी बरस गया तो.......2
पानी बरस गया तो किसे मुंह दिखाओगे
मैं तो हवा हूं किस तरह पहरे लगाओगे.....
दुःख क्यूं किसी गरीब का हंसते हो देखकर
करवट जो वक़्त लेगा तो सब.....2
करवट जो वक्त़ लेगा तो सब भुल जाओगे
मैं तो हवा हूं किस तरह पहरे लगाओगे .....
मैं ना रहूंगा एक दिन ऐसा भी आएगा
तस्वीर को गले से मेरी.... 2
तस्वीर को गले से मेरी तुम लगाओगे
मैं तो हवा हूं किस तरह पहरे लगाओगे ....
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