मात पिता की सेवा जैसा
बंदे और जगत में कोई काम नहीं है
मात पिता की सेवा करले ,
खुशियों से झोली भर ले
समझ तेरे राम यही है
की राधे श्याम यही है,
की राधे श्याम यहीं हैं ....
घर एक मन्दिर तेरा ,
मात पिता ही भगवान हैं
जो ये ना समझे प्राणी
वो तो बड़ा ही नादान हैं
भरम में बंदे क्यूं घिरता है,
दर दर क्यूं फिरता है
की चारों धाम यहीं है ,
की चारों धाम यहीं हैं
मात पिता की सेवा जैसा
बंदे और जगत में कोई काम नहीं है
मात पिता की सेवा करले ,
खुशियों से झोली भर ले
समझ तेरे राम यही है
की राधे श्याम यही है ,
की राधे श्याम यहीं हैं ....
सुन ले रे प्राणी तुझको
सारे ये बेद बताएगा रे
मात पिता के तन में
सारे देव समाए रे
सारे देव तू यहीं बना ले
इनको शीश झुका ले
की ठीक मुकाम यही हैं ,
की ठीक मुकाम यही हैं
मात पिता की सेवा जैसा
बंदे और जगत में कोई काम नहीं है
मात पिता की सेवा करले ,
खुशियों से झोली भर ले
समझ तेरे राम यही है
की राधे श्याम यही है,
की राधे श्याम यहीं हैं ....
तू क्यूं भटकता डोले
राम मिलन के आस में
बाहर ये नाही दिखे
रहते हैं तेरे ही पास में
मात पिता को राज़ी करले
भव से पार उतर ले
की फिर सुख धाम यहीं हैं ,
की फ़िर सुख धाम यहीं हैं
मात पिता की सेवा जैसा
बंदे और जगत में कोई काम नहीं है
मात पिता की सेवा करले ,
खुशियों से झोली भर ले
समझ तेरे राम यही है
की राधे श्याम यही है ,
की राधे श्याम यहीं हैं ....
कर ले तू सेवा इनकी
छोड़ के सारे काम रे
इनके चरण में तुझकों
मिल जाएगा सुख धाम रे
घर घर ठोकर क्यूं खाता हैं ,
बाहर क्यूं जाता हैं
की सब आराम यही हैं,
की सब आराम यही हैं
मात पिता की सेवा जैसा
बंदे और जगत में कोई काम नहीं है
मात पिता की सेवा करले ,
खुशियों से झोली भर ले
समझ तेरे राम यही है
की राधे श्याम यही है ,
की राधे श्याम यहीं हैं ....
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