हम प्रेम दिवानी हैं वो प्रेम दीवाना
ये उधो हमें ज्ञान की पोथी ना सुनाना
हम प्रेम दिवानी हैं वो प्रेम दीवाना.....
तन मन जीवन श्याम का
और श्याम हमारा काम
रोम रोम में रम रहा वो मतवारा श्याम
इस तन में अब युग का नहीं कोई ठिकाना
उधो तुम असुवन को जो हरि सनमुख ले जाओ
पूछे हरि कुशल तो चरणों में दियो चढ़ाओ
कहियो जी इस प्रेम का ये तुच्छ नज़राना
हम प्रेम दिवानी हैं......
प्रेम डोर में वध रहा जीवन का संयोग
चरनन की पूजा करे यही हमारा योग
कानों में रहे गूंजता वंशी का तराना
ये उधो हमें ज्ञान की पोथी ना सुनाना.....
एक दिन नैनन के निकट
रहते थे आठों याम
अब बैठे हमे बिसार के
वो निर्मोही श्याम
दीपक वो ज़माना था
और ये भी ज़माना
ये उधो हमें ज्ञान की पोथी ना सुनाना.....
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