मेरा खत पढ़के हैरत है सबको
प्यार में हमने क्या लिख दिया है
जिसको लिखना था ज़ालिम सितम गर
उसको जाने वफ़ा लिख दिया हैं
मेरा खत पढ़के हैरत.....
प्यार झूठा मोहब्बत भी झूठी
अब किसी पे भरोसा ना करना
अब किसी पे भरोसा ना करना
शहर की आज दीवार पर ये
शहर की आज दीवार पर ये
एक पागल ने क्या लिख दिया है
मेरा खत पढ़के हैरत है सबको....
मेरे मेहबूब की दिल्लगी भी
कोई देखें तो कितना हँसी हैं
कोई देखें तो कितना हँसी हैं
ग़ैर का खत लिफ़ाफ़े में रखकर
ग़ैर का खत लिफ़ाफ़े में रखकर
उसपे मेरा पता लिख दिया है
मेरा खत पढ़के है हैरत......
क्या बताऊं तुम्हें आज असहर
मेरा मेहबूब कितना खफा है
मेरा मेहबूब कितना खफा हैं
नाम कागज़ पे लिख लिख के मेरा
नाम कागज़ पे लिख लिख के मेरा
हर जगह बेवफ़ा लिख दिया हैं
मेरा खत पढ़के हैरत है......
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