पल पल व्याकुलता बढ़े
छीन छीन छीजै रैन
कर विलाप हरि, मनुज सम
कहेत बन्धु से बैन.!!
मेरे लखन दुलारे बोल कछु बोल
मत भईया को रुला रे बोल कछु बोल
भईया भईया कह के
भईया भईया कह के रस प्राणों में घोल..
मेरे लखन दुलारे बोल कछु बोल....
इस धरती पे और ना होगा
मुझ जैसा हतभागा
मेरे रहते बाण शक्ति का
तेरे तन में लागा
जा नहीं सकता तोड़ के ऐसे
मुझसे नेह का धागा
मैं भी अपने प्राण तज़ूँगा
आज जो तू नहीं जागा
अंखियों के तारे
अंखियों के तारे लल्ला
अखियां तू खोल
मेरे लखन दुलारे बोल कछु बोल.....
बीती जाय रैन पवन सुत
क्यू अब तक नहीं आए
बुझता जाए आस का दीपक
मनवा धीर गवाए
सूर्य निकल कर सूर्य वंश का
सूर्य डुबो ना जाए
बिना बुलाए बोलने वाला
बोले नहीं बुलाए
चुप चुप रहके, चुप चुप रहके मेरा
धीरज ना तौल
मेरे लखन दुलारे बोल कछु बोल.....
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