जिंदगी एक किराए का घर है
एक न एक दिन बदलना पड़ेगा
जिंदगी एक किराए का घर है
एक न एक दिन बदलना पड़ेगा
मौत जब तुझको आवाज देगी
घर से बाहर निकलना पड़ेगा..
मौत का जब बजा सिर पे डंका
फूंक दी पल में सोने की लंका
कर गई मौत रावण का फ़ंका
वैसे तुझको भी जलना पड़ेगा
जिंदगी एक किराए का घर है
रात के बाद होगा सवेरा
देखना हो अगर दिन सुनहरा
पाव फूलों पे रखने से पहले
तुझको कांटों पे चलना पड़ेगा
जिंदगी एक किराए का घर है..
ये जवानी है दो दिन का सपना
ढूंढ ले राम तू जल्द अपना
ये जवानी अगर ढल गई तो
उम्र भर हाथ मलना पड़ेगा
जिंदगी एक किराए का घर है..
ये तश्बुर ये जोश और जवानी
चंद लम्हों की है ये कहानी
ये दिया शाम तक देख लेना
चढ़ते सूरज को ढालना पड़ेगा
जिंदगी एक किराए का घर है..
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