मेरे मालिक के दरबार में
सब लोगन के खाता
जिसने जैसा करम किया ...
वैसा ही फल पाता
मेरे मालिक के दरबार में
सब लोगो खाता .....
क्या साधु क्या सन्त गृहस्ती
क्या राजा क्या रानी
प्रभु की बही में लिखी हुई हैं
सबकी कर्म कहानी
बड़े बड़े हो जमा खर्च का ....
सही हिसाब लगाता
मेरे मालिक के दरबार में
सब लोगो का खाता .....
नहीं चले उनके घर रिश्वत
नहीं चले चालाकी
उनकी अपने लेन देन की
बडी रीत है बाकी
पुण्य की नईया पार लगाता ...
पापी स्वयं डूब जाता
मेरे मालिक के दरबार में
सब लोगो का खाता ....
बड़े बड़े कानून प्रभु की
बड़ी बड़ी मर्यादा
किसी की कौड़ी काम नहीं देता
किसी को दमड़ी ज्यादा
इसी लिए वो सारे जग का ....
जगत सेठ कहलाता
मेरे मालिक के दरबार में
सब लोगो का खाता ....
करता वही हिसाब सभी का
एक आसन पे डट के
उनका फैसला कभी ना बदले
लाख कोई सिर पटके
समझदार तो चुप रहता है ....
मूरख शोर मचाता
मेरे मालिक के दरबार में
सब लोगो का खाता ....
उजली करनी कर ले रे बन्दे
करम ना करियो काला
लाख़ आंख से देख रहा है
तुझे देखने वाला
उनकी तेज नजर से बन्दे ...
कोई नही बच पाता
मेरे मालिक के दरबार में
सब लोगो का खाता ....
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Please upload more lyrics of Bhajans by Pujya Prembhusan ji and Pujya Rajan Ji Maharaj 🙏😊
ReplyDeleteआनंद अनमोद
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