तू है शीतल धारा
तेरे संग संग बहती हू मै कब से
जब से नभ में तारे
मैं तेरी मैं तेरी हूं तबसे
जहा तेरा पग फेरा
वही मधुवन हैं मेरा
मुझे प्राणों से बड़कर प्यारा ,, प्रेम है तेरा
ये बरखा झर झर बरसे तो महके
मेरे मन की पाती पाती रे
तू जो संग है रंग ही रंग है
ये जीवन तेरे बिना नहीं जीना साथी रे ....
तेरे नैनो के वन में मन खोना ही था
बिन धागे जो बाधे वो बन्धन तू है
मैं जिसका चंदा वो आंगन तू है
तू पहली है आशा तू अंतिम अभिलाषा
मुझे प्राणों से बडकर प्यारा प्रेम है तेरा
तेरी बरखा झर झर बरसे तो महके
मेरे मन की पाती पाती रे
तू संग है रंग ही रंग हैं
ये जीवन तेरे बिना नहीं जीना साथी रे ....
1 Comments
bahut khub
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