मैं हूं शरण में तेरे संसार के रचईया
कस्ती मेरी लगा दो उसपर वो कन्हैया....
मेरी अरदास सुन लीजे
प्रभु सुध आन कर लीजे
दरश एक बार तो दिजे
मैं समझूंगा श्याम रीझे
पतवार थाम लो तुम
मजधार में हैं नईया
मैं हूं शरण में तेरे संसार के रचईया....
भगत बेचैन हैं तुम बिन
तरसते नैन है तुम बिन
अंधेरी रैन है तुम बिन
कहीं ना चैन है तुम बिन
हैं उदास देखो तुम बिन
गोपी ग्वाल गईया
मैं हूं शरण में तेरे संसार के रचईया ....
दया निधि नाम हैं तेरा
कहाते हों अंतर्यामी
समाए हों चराचर में
सकल संसार के स्वामी
नमामि नमामि हरदम
त्रिजधाम के बसईया
मैं हूं शरण में तेरे संसार के रचईया....
तेरी यादों का मन मोहन
ये दिल में उमड़ा है सावन
बुझेगी प्यास इस दिल की
सुनूंगा जब तेरा आवन
पावन पतित को करना
जगदीश ओ कन्हैया
मैं हूं शरण में तेरे संसार के रचईया....
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