हम तेरे शहर में आए हैं मुसाफिर की तरह !!
हम तेरे शहर में आए हैं, मुसाफिर की तरह
सिर्फ एक बार, मुलाकात का मौका दे दे..
हम तेरे शहर में आए हैं मुसाफिर की तरह ।।
मेरी मंजिल है कहाँ, मेरा ठिकाना है कहाँ
सुबह तक तुझसे बिछड़ कर मुझे जाना है कहाँ
सोचने के लिए, एक रात का मौका दे दे
हम तेरे शहर में आए हैं मुसाफिर की तरह ।।
अपनी आँखों में छुपा रखे हैं ,जुगनू मैंने
अपनी पलकों पे सजा रखे हैं आंसू मैंने
मेरी आँखों को भी बरसात का मौका दे दे
हम तेरे शहर में आए हैं मुसाफिर की तरह ।।
आज की रात मेरा दर्दे मोहब्बत सुन ले
कप कपाते हुए होठों की शिकायत सुन ले
आज इजहार-ए-खयालात का मौका दे दे
हम तेरे शहर में आए हैं मुसाफिर की तरह ।।
भूलना था तो यह इकरार किया ही क्यों था
बेवफा तूने मुझे प्यार किया ही क्यों था
सिर्फ दो-चार सवालात का मौका दे दे
हम तेरे शहर में आए हैं मुसाफिर की तरह ।।
-LbMusicEntertainment-
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