जो पहले दिया है वही कम नहीं हैं
उसी को निभाने के काबिल नहीं हूं
मैं आ तो गया हूं मगर जानता हूं
तेरे दर पे आने के काबिल नहीं हूं
यह माना कि दाता हो,
तुम्हीं कुल जहां के .... 2
मगर कैसे झोली मै फैलाऊं आके....2
जो पहले दिया है वही कम नहीं हैं
उसी को निभाने के काबिल नहीं हूं.....
तुम्हीं ने अदा की मुझे जिंदगानी
तेरी महिमा फिर भी मैं ना जानी
गुनहगार हु मैं सज़ावार हु मैं
तुम्हें मुंह दिखाने के काबिल नहीं हूं
तेरी मेहरबानी का है बोझ इतना
जिसे मैं उठाने के काबिल नहीं हूँ
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