काक स्नानम् , बक ध्यानम्
श्वान निद्रा तथैव च
अल्पहारी, गृह त्यागी
विद्यार्थी पंच लक्ष्णम्
शब्दार्थ..............!
काक स्नानम् , बक ध्यानम्
कौवे की तरह स्नान,
जो कम समय में हो सके....
बगुले के जैसी ध्यान
श्वान निद्रा तथैव च
कुत्ते की तरह नीद,
जो गहरी नीद ना हों
अल्पहारी, गृह त्यागी
इतना ज़्यादा भोजन ना करें,
जिससे मन और शरीर पर
आलस्य छा जाए!
मन से घर के सुख को त्याग दे..
विद्यार्थी पंच लक्ष्णम्
ये विद्यार्थी के पाँच लक्षण होने चाहिए..!!
0 Comments