कैसी प्रभु तूने कायनात बांधी
एक दिन के पीछे एक रात बांधी
कैसी प्रभु तूने कायनात बांधी.....
जल के सीने में धरती बिठाई
जैसे छाई हो दूध पे मलाई
राग और राग में.... 2
कैसे रिश्तों तूने सौगात बांधी,
सौगात बांधी, कैसी प्रभु तूने....
कैसी खूबी से बांधे हैं घोड़े
जाके सूरज के रथ में है जोड़े
चाँद दुल्हा बना लेके रजनी चला..2
संग तारो की तूने बरात बंधी
बरात बंधी...
कैसी प्रभु तूने कायनात बांधी....
कैसी खूबी से बांधे है मौसम
सर्दी गर्मी है मंथ (गिरीषम) ग्रीष्म
ये बहारो की जाल, ये है पतझड़ की शान
हवा बादलों के बीच में बरसात बांधी..
बरसात बांधी......
कैसी प्रभु तूने कायनात बांधी....
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