ओ सावरे मेरे नैनन से
दिल की गली विच आजा..
युग युग बीते वो सांवरिया
चिठ्ठियां ना वाचे नाही कोई खबरिया
प्राण लबों पे आने से पहले..2
एक झलक दिखलाजा आजा
ओ सावरे मेरे नैनन से.....
जनम जनम के मै हु प्यासा
दर्श बिना मन में हैं निराशा
निरश जीवन की बगिया का....2
तू गुलशन महका जा आजा
ओ सावरे मेरे नैनन से....
तू निश्छल निर्मोही बड़ा है
अपनी ज़िद पर क्यूं तू अड़ा हैं
मैं बैरन बिरहा का मारा....3
गरज बरस आजा आजा
ओ सावरे मेरे नैनन से....
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