माया का मारिच चला माया पति को भटकाने लिरिक्स भजन: Maya Ka Marich Chala Maya Pati Ko Bhatkane lyrics

कंचन मृग बनकर आया 

सिय का अपहरण कराने

माया का मारिच चला

माया पति को भटकाने....


सीता बोली वो देखें

स्वामी जी मृग कंचन का

चर्म मारकर लाए

यह होगा निशान इस वन का

सिय माया की माया का मृग

लगे राम मुस्काने 

माया का मारिच चला

माया पति को भटकाने....


माया सोना है उसके आगे

 यह जगत खिलौना

कितने लोगों को जीवन भर

 सोने दिया ना सोना

 राम चले सोने के पीछे

दर-दर ठोकर खाने

माया का मारिच चला

माया पति को भटकाने....


माया पति को भी वन में

 दर-दर भटकाई माया

 इसीलिए जीवन में पड़े ना

माया की कहीं छाया

 राही नाचा रहा जो जग को..2

माया चली नचाने

माया का मारिच चला

माया पति को भटकाने....

LB MUSIC ENTERTAINMENT

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