ये जीवन है दो दिन का मेला रहेगा
सफ़र तेरा अंतिम अकेला रहेगा....
हर इंसान के दो रूप दुनिया दुरंगी
यहां पर किसी का ना कोई है संगी
हर इंसान के दो रूप दुनिया दुरंगी
यहां पर किसी का ना कोई है संगी
मदारी तू जाएगा खेल रहेगा..2
सफ़र तेरा अंतिम अकेला रहेगा....
नादान करता है क्यों तू नादानी
किया चोरी घूसखोरी और बेईमानी
नादान करता है क्यों तू नादानी
किया चोरी घूसखोरी और बेईमानी
नहीं हाथ तेरे अंधेला रहेगा....2
सफ़र तेरा अंतिम अकेला रहेगा....
यहां भाई बंधु पिता और माता
निभाएगा कोई नहीं तुझसे ना
यहां भाई बंधु पिता और माता
निभाएगा कोई नहीं तुझसे ना
ना अनपढ़ गुरु ना तो चेला रहेगा...2
सफ़र तेरा अंतिम अकेला रहेगा....
 

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