ना लौटेगा वापिस वो गुजरा जमाना
मेरे आंसुओं सीख लो मुस्कुराना....
कभी टूट कर दिल दोबारा ना मिलते
गए टूट जो गुल कभी फ़िर ना खिलते
भले हो बहारों का मौसम सुहाना
मेरे आंसुओं सीख लो मुस्कुराना...
इसी दर्दे दिल और जिगर में बसी थी
ये सच है कभी वो तुम्हारी खुशी थी
जिसे समझा अपना वो निकली बेगाना
मेरे आंसुओं सीख लो मुस्कुराना....
मोहब्बत की राहों में पलके बिछाया
मगर तू था अनपढ़ उसे पढ़ ना पाया
इसी से गया चूक तेरा निशाना
मेरे आंसुओं सीख लो मुस्कुराना...

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