हमारी लड़ गई अखियाँ
बचाई थी बहुत मैंने
बचाई थी बहुत मैंने
निगोड़ी लड़ गई अखियां..
ना जाने क्या किया जादू
कि तकती रह गई अखियां
चमकती हाय बरछी सी
चमकती हाय बरछी सी
कलेजे गण गई अखियां....
चहुं दिशि रस भरी चितवन
मेरी आंखों में लाते हो
कहो कैसे कहां जाऊं
कहो कैसे कहां जाऊं
कि पीछे पड़ गई अखियां....
भले इस तन से निकले प्राण
मगर ये छवि ना निकलेगी
अंधेरे मन के मंदिर में
अंधेरे मन के मंदिर में
मणी सी जड़ गई अखियां
सखी री बांके बिहारी से
हमारी लड़ गई अखियां....

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