लाज रखो हे कृष्ण मुरारी
हे गिरधारी कृष्ण मुरारी
लाज रखो हे कृष्ण मुरारी...
कहता है खुद को बलशाली
कहता है खुद को बलशाली
खींच रहा है खींच रहा है
खींच रहा है अबला की सारी
लाज रखो हे कृष्ण मुरारी...
मैं समझी थी कि एक है अंधा
मैं समझी थी कि एक है अंधा
यहां पर तो अंधी सभा है सारी
लाज रखो हे कृष्ण मुरारी...
पांच पति सर नीचे किए हैं
वो ही गदा वो ही, वो ही गदा वो ही
वो ही गदा वो ही गांडीवधारी
लाज रखो मेरी हे गिरधारी....
अब मैं आस करूं कहो किस पर
अब मैं आस करूं कहो किस पर
यहां पर सब बै यहां पर सब बै
यहां पर सब बैठे हैं जुआरी
लाज रखो हे कृष्ण मुरारी...

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